Monday, October 28, 2013

एक सड़क ये भी

ये वो सड़क है जो सुनसान ही रहती है ..
इसने  नहीं देखी  है गाड़ियों की रौनकें ..
इसने नहीं देखी है अपनों से मिलने वालो की खुशी ..

इसने नहीं देखा अमीर गरीब का फर्क ....
इसके  किनारों पर कोई दुकाने नहीं
जहाँ इसने मचलते बच्चों  को देखा हो साईकिल के लिए
कोई  घर भी नहीं है यहाँ
जिसके चौखट पर जलते बल्ब ने रोशन किया हो इसे रात में


ये वो सड़क है जहाँ से कोई गुजरना नहीं चाहता ..
मौन की रस्सी से बंध जाते है सब यहाँ से गुजरते हुए
नहीं चाहते इसकी मंजिल तक जाना कोई कभी ..

इस सड़क ने बिदाई देखी  है
दुःख और करुणा देखी है ..
रुदन देखा है
भय  देखा है ..

लेकिन इससे ये ना समझना की
 मनहूस है ये सड़क

क्योंकी

 इस सड़क ने देखा है अंतिम सत्य
इसने  देखा है मोक्ष ..
इसने सुना है केवल इश्वर का नाम
इसने भेद नहीं देखा
इसने देखा है की हर इंसान बराबर है ..

ये ले जाती है उस राह पर जो हर इंसान की मंजिल है ...

ये सड़क शमशान को जाती है ..
और
इसके किनारे पर कब्रिस्तान है ...










2 comments:

  1. बहुत बढ़िया लिखा है!!!

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  2. "aur iske kinaare kabristaan hai" - ye naa bhee likhte to kyaa kam hota iss kavita mein; yaa aakhiri dono lines naa likhee hoti. Kavita tab shayad jyaada poori hoti, naheen?

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