मैं भी
एक सूरज
टांग दूं आकाश में
मेरे हिस्से की आग
फैंकने का मन है
एक सूरज
टांग दूं आकाश में
मेरे हिस्से की आग
फैंकने का मन है
मन है कि नदी बहे अनवरत अब
या बादल झरते रहे
तितलियों से सुनकर कहानियाँ लिखूँ
और
पेड़ों को सुनाऊं
मन है कि
सब कुछ हो
बस मेरे हिस्से की आग न हो मेरे पास ।