इसने नहीं देखी है गाड़ियों की रौनकें ..
इसने नहीं देखी है अपनों से मिलने वालो की खुशी ..
इसने नहीं देखा अमीर गरीब का फर्क ....
इसके किनारों पर कोई दुकाने नहीं
जहाँ इसने मचलते बच्चों को देखा हो साईकिल के लिए
कोई घर भी नहीं है यहाँ
जिसके चौखट पर जलते बल्ब ने रोशन किया हो इसे रात में
ये वो सड़क है जहाँ से कोई गुजरना नहीं चाहता ..
मौन की रस्सी से बंध जाते है सब यहाँ से गुजरते हुए
नहीं चाहते इसकी मंजिल तक जाना कोई कभी ..
इस सड़क ने बिदाई देखी है
दुःख और करुणा देखी है ..
रुदन देखा है
भय देखा है ..
लेकिन इससे ये ना समझना की
मनहूस है ये सड़क
क्योंकी
इस सड़क ने देखा है अंतिम सत्य
इसने देखा है मोक्ष ..
इसने सुना है केवल इश्वर का नाम
इसने भेद नहीं देखा
इसने देखा है की हर इंसान बराबर है ..
ये ले जाती है उस राह पर जो हर इंसान की मंजिल है ...
ये सड़क शमशान को जाती है ..
और
इसके किनारे पर कब्रिस्तान है ...