तहखाना
.....मन का .....
Monday, March 31, 2014
अधूरा मिलन
मैं भूमि
तुम गगन से ...
मेरी हस्ती पर छाये हो...
दिखते हो दूर क्षितिज पर
मिलते हुए ...
निकट ना कभी आये हो!
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