Monday, March 31, 2014

अधूरा मिलन

मैं भूमि
तुम गगन से ...
 मेरी हस्ती पर छाये हो...
 दिखते हो दूर क्षितिज पर
 मिलते हुए ...
निकट ना कभी आये हो!

No comments:

Post a Comment