Monday, March 31, 2014

आज का इंसान

लूट रहा आबरु,
 बेच रहा ईमान है !
पैसों की खातिर जो,
 लेता अपनों की भी जान है !
 स्वार्थ के सिहांसन पर
 बैठा है जो शख्स
,क्या वही आज का
 इंसान है!

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