Wednesday, March 4, 2015

लौटा लो बचपन को

यादों की अलमारी खोलें
पीछे छूटा बचपन टटोलें

दौड़ लगायें जंगल पहुंचे
मोगली संग पेड़ों पर झूलें

होमवर्क की टेंशन छोड़े
पार्क में जाकर तितली छू लें

क्रिकेट का मतलब बैटिंग हो
पहली बॅाल" ट्राइ" वाली खेलें

तालाब में पत्थर फेंके
कंचें जीते अमीर हो लें

कॅापी में मिले गुड गिनें
रंग बिरगीं चॅाक चुरा लें

बेस्ट फ्रेंड की कट्टी पर
आंखे आंसुओं से भिगो लें

मम्मी का बर्थडे है
वाटर कलर से कार्ड बना लें

गर्मी वाली छुट्टी में
चम्पक, बालहंस वाला पिटारा खोलें

बेवजह हसें, पापा से पिटें
चोट लगे तो जोर से रो लें

चलो
अलमारी फिर से खोलें
बचपन याद रखें

बाकी सारी जिन्दगी भूलें












 

1 comment:

  1. अवर्णननीय।बहुत ही चञ्चल। सम्भवतः जीवन की सबसे महत्त्वपूर्ण कड़ी। सभी के जीवन में कोई न कोई स्मृति इस पन से जुड़ी ही होती है.. किन्तु सभी मधुर। शुभकामनायें इन्हें शब्द देने के लिए।

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