Thursday, July 3, 2014

रोशनी

रात घनी और काली है
सूरज निगलने वाली है
तुम दिये से देहरी रोशन रखना

यहाँ सन्नाटो का बोझ पङा है
मुर्द सा होकर तन अकङा है
तुम जीवन सी लचक बनाये रखना

गर्दिशो के साये
सभी ओर छाये
उम्मीदों की नैया
भंवर में डगमगाये
तुम आशाओ की पतवार ले आगे बढना

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर ....रोशनी को आप ने बेहतर आशय दिया है ।।

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